Monday, June 02, 2025

उत्तराखण्ड राज्य समर कैंप रिपोर्ट (27 मई – 2 जून 2025) "भारतीय भाषाओं का उत्सव: एक भारत, श्रेष्ठ भारत की ओर एक कदम"

उत्तराखण्ड राज्य में 27 मई से 2 जून 2025 तक समस्त जनपदों में भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर का सफल आयोजन किया गया। यह शिविर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा-निर्देशों तथा 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' पहल के अंतर्गत बहुभाषावाद को प्रोत्साहित करने और भारतीय भाषाओं की एकता में विविधता को आत्मसात कराने हेतु आयोजित किया गया।

बंदना गर्ब्याल
निदेशक, 
अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, उत्तराखण्ड

"भारतीय भाषाओं का उत्सव" समर कैंप उत्तराखण्ड के विद्यालयों में भाषाई समृद्धि, सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय एकता की भावना को जीवंत करता है। मुझे यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि राज्यभर के हजारों बच्चों ने न केवल एक नई भाषा सीखी, बल्कि भारत की भाषाई विविधता को आत्मसात किया। यह शिविर छात्रों की संवादात्मक, सामाजिक और भावनात्मक क्षमताओं को मजबूत करता है और उन्हें एक उत्तरदायी, बहुभाषिक नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करता है। एससीईआरटी उत्तराखण्ड की ओर से सभी सहभागी विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं समर्पित जिला शिक्षा अधिकारियों को हार्दिक बधाई एवं धन्यवाद।

पदमेन्द्र सकलानी
अपर निदेशक, एससीईआरटी एवं महानिदेशालय विद्यालयी शिक्षा उत्तराखंड 

इस अभूतपूर्व समर कैंप ने यह सिद्ध किया कि भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं, बल्कि सांस्कृतिक संवाद और एकता का सेतु है। उत्तराखण्ड के ग्रामीण से लेकर शहरी विद्यालयों तक विद्यार्थियों ने स्थानीय व अन्य भारतीय भाषाओं की बारीकियों को जाना, महसूस किया और उन्हें अपनाया। यह शिविर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को धरातल पर उतारने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है। भविष्य में इस प्रयास को सतत एवं समावेशी बनाने के लिए हम और भी योजनाएँ जैसे बहुभाषिक संवाद मंच, डिजिटल भाषा ऐप्स, और स्थानीय भाषाओं के साथ AI तकनीक को जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

शिविर में सम्मिलित भाषाएँ:
  • संस्कृत, पंजाबी, बंगला, नेपाली, गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी, कन्नड़, तेलुगू, मलयालम, गुजराती, रंवाल्टी, मराठी, राजस्थानी आदि।


प्रमुख उद्देश्य:

  • विद्यार्थियों में भाषाई विविधता के प्रति जिज्ञासा और आदरभाव उत्पन्न करना।

  • अन्य भारतीय भाषाओं में संवाद कौशल का विकास।

  • सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करना।


सप्ताह भर की गतिविधियाँ: 





छात्र सहभागिता दर (प्रमुख जनपदों में):

देहरादून       ███████████████████  5,896
नैनीताल        ████████████████████████████  8,052
हरिद्वार        ██████████████████  3,513
रुद्रप्रयाग     ███████████████████  3,068
चमोली          █████████████████  2,386

शिक्षक सहभागिता (चयनित जनपदों में):
देहरादून       ███████████████████████████████  833
नैनीताल        ███████████████████████████  430
हरिद्वार        ████████████████████████████  425


विशेष उपलब्धियाँ:

  • उत्तराखण्ड के सभी 13 जनपदों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

  • 2.7 लाख से अधिक छात्रों की सहभागिता।

  • 6,600 से अधिक सामुदायिक सदस्यों ने स्थानीय भाषाओं, कहानियों व कलाओं के साथ शिविर को समृद्ध किया।

  • पहली बार इतनी बड़ी संख्या में भाषाई विविधता पर राज्य स्तरीय एकीकृत गतिविधि आयोजित की गई।

इस समर कैंप के राज्य स्तरीय आयोजन और समन्वयन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मनोज किशोर बहुगुणा, राज्य समन्वयक (एन ई पी सेल), द्वारा  निभाई गई। उनके नेतृत्व में राज्य स्तर पर गठित समिति द्वारा राज्य के सभी जनपदों से डेटा संग्रह, विद्यालयों से निरंतर संवाद और कार्यक्रम की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में प्रभावशाली कार्य किया गया।
इस कार्य में राज्य के शिक्षा अधिकारी तथा एससीईआरटी के संकाय सदस्यगण ने भी निरंतर सहयोग प्रदान किया, जिससे यह शिविर सुव्यवस्थित, सहभागी और प्रभावशाली बन सका। यह सामूहिक प्रयास राज्य में भाषा शिक्षा के क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देता है।

"भारतीय भाषाओं का उत्सव" समर कैंप उत्तराखण्ड में न केवल भाषाई जागरूकता का सशक्त माध्यम बना, बल्कि इसने छात्रों, शिक्षकों एवं समाज को भारत की विविध भाषाओं के माध्यम से एक साझा सांस्कृतिक पहचान से जोड़ा। यह शिविर भविष्य में बहुभाषिक नागरिकों की नींव रखता है और राष्ट्रीय एकता के सूत्र को और सुदृढ़ करता है।


राज्य के लिए महत्व एवं भविष्य की योजनाएँ

यह समर कैंप उत्तराखण्ड राज्य के लिए एक मील का पत्थर है, जिसने शिक्षा, भाषा और संस्कृति को एक साझा मंच पर लाकर बच्चों के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त किया है। इस पहल ने यह स्पष्ट किया कि उत्तराखण्ड जैसे विविध सांस्कृतिक राज्य में भाषा एकजुटता और नवाचार की कुंजी हो सकती है। इससे प्राप्त अनुभवों के आधार पर आने वाले समय में राज्य बहुभाषिक शिक्षण मॉड्यूल, पारंपरिक लोकभाषा वाचक प्रशिक्षण, तथा AI आधारित अनुवाद टूल्स को स्कूली शिक्षा में सम्मिलित करने की योजना बना रहा है। यह शिविर न केवल सीखने का एक उत्सव था, बल्कि भविष्य के लिए एक बहुभाषिक, बहुसांस्कृतिक, समावेशी भारत की ओर उठाया गया प्रभावशाली कदम है।