दिनांक – 5 जून 2025, विश्व पर्यावरण दिवस
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर “Ek Ped Maa Ke Naam 2.0” (एक पौधा अपनी मां के नाम) नामक एक राष्ट्रव्यापी वृक्षारोपण अभियान प्रारंभ किया गया। इसका सीधा प्रसारण नई दिल्ली भी से किया गया।
“Ek Ped Maa Ke Naam” एक भावनात्मक संदेश लेकर आया है — कि हम अपनी मां के प्रति प्रेम और आदर को प्रकृति के प्रति उत्तरदायित्व में बदलें। इस तरह के कार्यक्रम समाज में संवेदनशीलता, पर्यावरणीय चेतना और सतत विकास के मूल्यों को प्रोत्साहित करते हैं। जब हम अपनी मां के नाम एक पौधा लगाते हैं, तो यह केवल एक पौधे की स्थापना नहीं होती, बल्कि यह एक प्रतीक बन जाता है — उस कर्तव्य का जिसे हम प्रकृति के प्रति निभाना भूलते जा रहे हैं।
🌱 उत्तराखंड में इस अभियान की प्रेरणादायक शुरुआत:
महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा उत्तराखंड, अभिषेक रोहिला (IAS) ने इस अवसर पर देहरादून स्थित राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के परिसर में "एक पौधा अपनी मां के नाम " समर्पित कर रोपित किया। उनके साथ निदेशक, बन्दना गर्ब्याल ,अपर निदेशक, पदमेन्द्र सकलानी और सहायक निदेशक डॉ के एन बीजल्वाण तथा अनेक संकाय सदस्यों ने भी यह भावनात्मक और पर्यावरणीय कर्तव्य को "एक पेड़ मा के नाम" परिसर मे लगाए निभाया।
इस अवसर पर महानिदेशक अभिषेक रोहिला (IAS) के अनुसार - “प्रकृति हमारी मां के समान है। यदि हम अपनी मां से प्रेम करते हैं, तो हमें प्रकृति से भी उतना ही प्रेम करना चाहिए। 'एक पेड़ मां के नाम' न केवल वृक्षारोपण है, बल्कि यह हमारी भावनाओं और जिम्मेदारियों को प्रकृति से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास है। मैं सभी नागरिकों, शिक्षकों और विद्यार्थियों से अपील करता हूं कि वे इस अभियान को केवल आज तक सीमित न रखें, बल्कि इसे जीवन का हिस्सा बनाएं और वृक्षों के संरक्षण का संकल्प लें।”
इसी क्रम मे अपर निदेशक, पद्मेन्द्र सकलानी ने संदेश दिया कि “हर पेड़ एक जीवंत प्रणाम है हमारी धरती मां को। यह कार्य एक व्यक्तिगत भावना से जुड़ता है, जो हमें संवेदनशील बनाता है। हमें यह समझना होगा कि वृक्षारोपण एक दिन की क्रिया नहीं, बल्कि सतत प्रयास है — जिसमें संरक्षण, देखभाल और भागीदारी समान रूप से आवश्यक हैं।”
संवेदनशीलता और संरक्षण की दिशा में एक कोशिश :
SCERT उत्तराखंड के परिसर में इस अभियान के अंतर्गत अनेक पौधे लगाए गए और पहले से लगे पौधों की स्थिति की समीक्षा भी की गई। सभी अधिकारियों और संकाय सदस्यों ने पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली और पौधों की देखभाल के लिए एक सुनियोजित प्रणाली अपनाने पर बल दिया।
“Ek Ped Maa Ke Naam” एक भावनात्मक संदेश लेकर आया है — कि हम अपनी मां के प्रति प्रेम और आदर को प्रकृति के प्रति उत्तरदायित्व में बदलें। इस तरह के कार्यक्रम समाज में संवेदनशीलता, पर्यावरणीय चेतना और सतत विकास के मूल्यों को प्रोत्साहित करते हैं।
आइए, इस पर्यावरण दिवस पर हम सब मिलकर एक पौधा अपनी मां के नाम लगाएं — और यह सुनिश्चित करें कि वह पनपे, फलें और आने वाली पीढ़ियों को छांव दे।
इस तरह के कार्यक्रम समाज में संवेदनशीलता को जन्म देते हैं — जब व्यक्ति प्रकृति से भावनात्मक रूप से जुड़ता है, तब ही वह उसका संरक्षण करने को प्रेरित होता है। साथ ही, यह पर्यावरणीय चेतना को भी प्रोत्साहित करता है, क्योंकि जब हम अपने बच्चों को यह कार्य करते हुए दिखाते हैं, तो हम उन्हें केवल हरियाली नहीं, बल्कि एक मूल्य आधारित जीवन जीने की शिक्षा भी दे रहे होते हैं। अंततः, यह प्रयास सतत विकास की उस अवधारणा को बल देता है जिसमें हम केवल आज के लिए नहीं, बल्कि भविष्य के लिए सोचते हैं — एक ऐसा भविष्य जो हरा-भरा, सुरक्षित और जीवनदायक हो।