Tuesday, February 20, 2024

उल्लास कार्यक्रम : राज्य स्तरीय क्षमता सम्वर्द्धन एवं सामग्री विकास कार्यशाला का समापन

उल्लास कार्यक्रम के अन्तर्गत एस0सी0ई0आर0टी0, उत्तराखण्ड के तत्वावधान में राज्य स्तरीय क्षमता सम्वर्द्धन एवं सामग्री विकास कार्यशाला का समापन

उल्लास कार्यक्रम के अन्तर्गत एस0सी0ई0आर0टी0, उत्तराखण्ड के तत्वावधान में राज्य स्तरीय क्षमता सम्वर्द्धन एवं सामग्री विकास कार्यशाला का आज समापन हो गया। कार्यक्रम में बन्दना गब्र्याल, निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, उत्तराखण्ड ने आशा व्यक्त की कि पांच दिवसीय कार्यशाला में तैयार पठ्न सामग्री उल्लास कार्यक्रम को जमीनी स्तर तक प्रभावी ढंग से ले जाने में सहायक होगी। इस कार्यशाला में प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक उल्लास कार्यक्रम के विविध पक्षों जैसे-उल्लास प्रवेशिका के माध्यम से नव साक्षरों को सिखाने के तरीकों से परिचित हुए होंगे। सीखे हुए ज्ञान को लाभार्थी एवं समुदाय तक पहुंचाने में भी सफल होंगे। 

अजय कुमार नौड़ियाल, अपर निदेशक, एस0सी0ई0आर0टी0, उत्तराखण्ड ने कहा कि एन0सी0ई0आर0टी0, नई दिल्ली के राष्ट्रªीय साक्षरता प्रकोष्ठ द्वारा नव साक्षरों के लिए उल्लास प्रवेशिका चार खण्डों में तैयार की गई हैै। और इसका एक संक्षिप्त संस्करण भी उल्लास के नाम से तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में उल्लास में दी गई विषयवस्तु को उत्तराखण्ड की सामाजिक, सांस्कृतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अंगिकृत किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह पठ्न सामग्री नव साक्षर व्यक्तियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। 

आशा पैन्यूली, संयुक्त निदेशक, एस0सी0ई0आर0टी0, उत्तराखण्ड ने कहा कि उल्लास का विस्तार रूप अण्डरस्टैन्डिंग लाइफ लाॅन लर्निंग फाॅर आॅल इन सोसायटी है। जिसका अर्थ समाज में सभी के लिए आजीवन शिक्षा है। उत्तराखण्ड के परिप्रेक्ष्य में अंगीकृत पठ्न सामग्री इस कार्यक्रम के उद्देश्यों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में सहायता करेगी। 

राज्य साक्षरता प्रकोष्ठ एस0सी0ई0आर0टी0, उत्तराखण्ड के समन्वयक डाॅ0 हरेन्द्र सिंह अधिकारी ने बताया कि उल्लास कार्यक्रम पन्द्रह वर्ष से अधिक के उन लोगों के लिए है जो किन्हीं कारणों से शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाये हैं। उनके लिए तैयार प्रवेशिका उल्लास का उत्तराखण्ड की परिस्थतियों को ध्यान में रखते हुए अंगीकरण किया गया है। इसके अलावा नव साक्षरों को पढ़ाने वाले स्वंयसेवी शिक्षकों के मार्गदर्शन के लिए मार्गदर्शिका भी तैयार की गई है। समाज में साक्षरता के प्रति जागरूकता के लिए नारे, जिंगल और स्थानीय भाषाओं में गीत भी तैयार किये गये हैं। कार्यशाला में गढ़वाली लोक गायक योगेश सकलानी ने साक्षरता पर आधारित गीतों को प्रस्तुत किया और जिंगल तथा साक्षरता आधारित गीतों के कलात्मक पक्ष पर अपने विचार रखे। 

पांच दिवसीय इस कार्यशाला में संदर्भदाता के रूप में डाॅ0 उमेश चमोला, नरेन्द्र सिंह बिष्ट, गोपाल सिंह गैड़ा, तथा कैलाश चन्दोला ने पठ्न सामग्री के विकास पर प्रतिभागियों का अभिमुखीकरण किया तथा समय-समय पर प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान किया।  

पांच दिवसीय कार्यशाला में प्रतिभागियों का उल्लास कार्यक्रम के विविध पक्षों पर क्षमता अभिवर्धन किया गया तथा साक्षरता से सम्बन्धित पठ्न तथा आंकलन सामग्री का विकास भी किया गया। इस अवसर पर एस0सी0ई0आर0टी0 से डाॅ0 रमेश पन्त, दिनेश चैहान, अखिलेश डोभाल, अरूण थपलियाल तथा नीलम पवार भी मौजूद थे। साक्षरता कार्यक्रम तथा सामग्री विकास में इनके द्वारा योगदान दिया जा रहा है- कृपाल सिंह शीला, लक्ष्मी नैथानी, उर्मिला डिमरी, रेखा बोरा, कौशल कुमार, डाॅ0 अरूण कुमार तलनिया, शिवराज सिंह तड़ागी, उपेन्द्र कुमार भट्ट, संजय भट्ट, कुन्दन सिंह भण्डारी, दिव्या नौटियाल, माधुरी दीक्षित, सोनिया, चन्द्रशेखर नौटियाल, विनीत भट्ट, हरीश नौटियाल, अरविन्द सिंह सोलंकी, अनवर अहमद, पल्लवी पुरोहित, प्रेेरणा बहुगुणा, डाॅ0 संजीव डोभाल, सुधीर डोबरियाल, मंजू अग्रवाल, श्री नरेन्द्र सिंह नेगी तथा अनुपम प्रसाद।